Message Schedule List : 9701
S. No. | Message | Language | Created By | Date | Time | Status | Action |
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8381 | জিলা: ওদালগুৰি বতৰৰ বতৰা আৰু আমাৰ পৰামৰ্শ VI Smart Agri Project ৰ প্ৰিয় ট্ৰিনিটি ক্ষুদ্ৰ চাহ খেতিয়ক । স্মাৰ্ট কৃষি পৰামৰ্শলৈ স্বাগতম। ওদালগুৰি জিলাৰ আমজুলিত অৱস্থিত Automatic Weather Station (AWS) ৰ পৰা পোৱা বতৰৰ পূৰ্বানুমান অনুসৰি অহা ২১ পৰা ২৭ ছেপ্টেম্বৰ লৈকে ওচৰৰ অঞ্চলবোৰত, বতৰ ডাৱৰীয়া হৈ থকাৰ লগতে পাতলৰ পৰা মজলীয়া বৰষুণ অহা সম্ভাৱনা আছে । সপ্তাহটোত সর্বোচ্চ তাপমাত্ৰা ২৯-৩১ ডিগ্ৰী চেলচিয়াছ আৰু সর্বনির্বম্ন তাপমাত্ৰা প্ৰায় ২৪-২৫ ডিগ্ৰী চেলচিয়াছ থাকিব। যোৱা সপ্তাহত ১৮৭ মি.মি বৰষুণ হৈছে। ৰাতিপুৱা আৰু আবেলিৰ আপেক্ষিক আৰ্দ্ৰতা ক্ৰমান্বয়ে প্ৰায় ৯৮ % আৰু ৭০ % আশে-পাশে থাকিব। বতাহ প্ৰতি ঘন্টাত ৬-১৫ কি: মি: বেগেৰে ঘাইকৈ দক্ষিণ-পশ্চিম দিশৰ পৰা বলিব। চাহ খেতিৰ বাবে: • যিহেতু অহা কেইদিনমানত বৰষুণৰ সম্ভাৱনা আছে, অতিৰিক্ত পানী উলিয়াবলৈ বাগান বোৰত প্ৰয়োজনীয় ব্যৱধানত সৰু নলাৰ ব্যৱস্থা কৰিব। • এই সময়ত Black rot , Red rust, Fusarium আদি বেমাৰ বিশেষ ভাবে দেখা যায়। সংক্ৰমিত এলেকাবোৰ চিহ্নিত কৰি প্লাকিং কৰাৰ পিছত স্পট স্প্ৰে (spot spraying) কৰিব লাগে। বৰষুণৰ তীব্ৰতা অতি বেছি হলে স্প্ৰে নকৰিব । • ৰাসায়নিক পদাৰ্থ নিম্নতম ৬-৭ দিনৰ ব্যৱধান ৰাখি স্প্ৰে কৰিব যাতে পিছত কোনো এম.আৰ.এল. (MRL) সমস্যা নাহে। অন্যান্য শস্যৰ বাবে: • ইতিমধ্যে গজি উঠা ফুলকবিৰ পুলিবোৰ বৰষুণৰ পৰা ৰক্ষা কৰিবলৈ চালিৰে ঢাকি দিব লাগে। • মূলাৰ পুলিবোৰ গজাৰ ১০-১৫ দিনৰ পিছত বেছি ঘনকোই গোজা পুলিবোৰ উভালী পেলাই দিব আৰু প্ৰতিটো শাৰীত পুলিৰ মাজত দূৰত্ব ১০ চে.মি. ৰাখিব। • কৃষক সকলে শীতকালৰ বেঙেনাৰ বীজ সিঁচা কার্য্য বর্তমান সময়ত স্থগিত কৰা উচিত যিহেতু অহা কেইদিনত বৰষুণ অহা সম্ভাৱনা আছে, অনুকুল বতৰ চাই বীজ সিঁচা কার্য্য অব্যাহত কৰিব পাৰে। ইয়াৰ উপযুক্ত সময় ছেপ্টেম্বৰ মাহৰ পৰা অক্টোবৰৰ মাহলৈ। বেঙেনাৰ কিছুমান জাত যেনে- Pusa Purple Round, Pusa Purple Long, Pusa Kranti, আদি বীজ সিঁচা কার্য্যৰ বাবে সংগ্ৰহ কৰিব পাৰে। বতৰ আৰু কৃষি সম্পৰ্কীয় তথ্যৰ বিষয়ে জানিবলৈ কৃষকসকলে ৭০৬৫-০০-৫০৫৪ নম্বৰত মিছ কল দিব পাৰে । ধন্যবাদ । | Assamese | Assam | 22-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8382 | জিলা: ওদালগুৰি বতৰৰ বতৰা আৰু আমাৰ পৰামৰ্শ VI Smart Agri Project ৰ প্ৰিয় ট্ৰিনিটি ক্ষুদ্ৰ চাহ খেতিয়ক । স্মাৰ্ট কৃষি পৰামৰ্শলৈ স্বাগতম। ওদালগুৰি জিলাৰ দাৰোগাচুবাত অৱস্থিত Automatic Weather Station (AWS) ৰ পৰা পোৱা বতৰৰ পূৰ্বানুমান অনুসৰি অহা ২১ পৰা ২৭ ছেপ্টেম্বৰ লৈকে ওচৰৰ অঞ্চলবোৰত, বতৰ ডাৱৰীয়া হৈ থকাৰ লগতে পাতলৰ পৰা মজলীয়া বৰষুণ অহা সম্ভাৱনা আছে । সপ্তাহটোত সর্বোচ্চ তাপমাত্ৰা ৩০-৩২ ডিগ্ৰী চেলচিয়াছ আৰু সর্বনির্বম্ন তাপমাত্ৰা প্ৰায় ২৪-২৬ ডিগ্ৰী চেলচিয়াছ থাকিব। যোৱা সপ্তাহত ৪৭ মি.মি বৰষুণ হৈছে। ৰাতিপুৱা আৰু আবেলিৰ আপেক্ষিক আৰ্দ্ৰতা ক্ৰমান্বয়ে প্ৰায় ৯৮ % আৰু ৭০ % আশে-পাশে থাকিব। বতাহ প্ৰতি ঘন্টাত ৭-১৬ কি: মি: বেগেৰে ঘাইকৈ দক্ষিণ-পশ্চিম দিশৰ পৰা বলিব। চাহ খেতিৰ বাবে: • যিহেতু অহা কেইদিনমানত বৰষুণৰ সম্ভাৱনা আছে, অতিৰিক্ত পানী উলিয়াবলৈ বাগান বোৰত প্ৰয়োজনীয় ব্যৱধানত সৰু নলাৰ ব্যৱস্থা কৰিব। • এই সময়ত Black rot , Red rust, Fusarium আদি বেমাৰ বিশেষ ভাবে দেখা যায়। সংক্ৰমিত এলেকাবোৰ চিহ্নিত কৰি প্লাকিং কৰাৰ পিছত স্পট স্প্ৰে (spot spraying) কৰিব লাগে। বৰষুণৰ তীব্ৰতা অতি বেছি হলে স্প্ৰে নকৰিব । • ৰাসায়নিক পদাৰ্থ নিম্নতম ৬-৭ দিনৰ ব্যৱধান ৰাখি স্প্ৰে কৰিব যাতে পিছত কোনো এম.আৰ.এল. (MRL) সমস্যা নাহে। অন্যান্য শস্যৰ বাবে: • ইতিমধ্যে গজি উঠা ফুলকবিৰ পুলিবোৰ বৰষুণৰ পৰা ৰক্ষা কৰিবলৈ চালিৰে ঢাকি দিব লাগে। • মূলাৰ পুলিবোৰ গজাৰ ১০-১৫ দিনৰ পিছত বেছি ঘনকোই গোজা পুলিবোৰ উভালী পেলাই দিব আৰু প্ৰতিটো শাৰীত পুলিৰ মাজত দূৰত্ব ১০ চে.মি. ৰাখিব। • কৃষক সকলে শীতকালৰ বেঙেনাৰ বীজ সিঁচা কার্য্য বর্তমান সময়ত স্থগিত কৰা উচিত যিহেতু অহা কেইদিনত বৰষুণ অহা সম্ভাৱনা আছে, অনুকুল বতৰ চাই বীজ সিঁচা কার্য্য অব্যাহত কৰিব পাৰে। ইয়াৰ উপযুক্ত সময় ছেপ্টেম্বৰ মাহৰ পৰা অক্টোবৰৰ মাহলৈ। বেঙেনাৰ কিছুমান জাত যেনে- Pusa Purple Round, Pusa Purple Long, Pusa Kranti, আদি বীজ সিঁচা কার্য্যৰ বাবে সংগ্ৰহ কৰিব পাৰে। বতৰ আৰু কৃষি সম্পৰ্কীয় তথ্যৰ বিষয়ে জানিবলৈ কৃষকসকলে ৭০৬৫-০০-৫০৫৪ নম্বৰত মিছ কল দিব পাৰে । ধন্যবাদ । | Assamese | Assam | 22-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8383 | జైనాద్ మండల రైతు సోదరులకు సూచన :: సోలిడరిడాడ్ వారి ఆధునిక ఆటోమేటెడ్ వాతావరన కేంద్ర సమాచారము మేరకు, గత వారం లో కురిసిన వాన 0.64 మిల్లీ మీటర్లు గా ఉంది. ఈ వారం సైతం వానలు కురిసే అవకాశం 30-70%గా ఉంది.ఆకాశం మేఘావృతమై ఉండడం వల్ల తెగుళ్లు సోకే ప్రమాదం ఉంది కావున ఎక్కడైతే నీరు నిల్వ ఉండి ఆకులు ఎర్రబరాయో అట్లాంటి పంటచేలలో రైతు సోదరులు విధిగా 600 గ్రాములు కాపర్ ఆక్సి క్లోరైడ్ మరియు 20 గ్రాముల ప్లాంటమైసిన్ అనే మందును 200 లీటర్ల నీటిలో కలుపుకొని మొదలు తడిచేలా పిచికారి చేసుకోవాలి. అవసరమైనట్లయితే 19 .19. 19. నీటిలో కరిగే ఎరువులను మరియు అగ్రోమిన్ మాథ్స్ ఫార్ములా సిక్స్ వంటి ఎరువులను ఎకరానికి రెండు కేజీల చొప్పున 200 లీటర్ల నీటిలో కలుపుకొని పిచికారి చేసుకోవాలి ఇట్లు సాలిడేరిడాడ్ ఆసియా | Telugu | Telangana | 21-09-2022 | 16:30:00 | SCHEDULED |
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8384 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8385 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8386 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8387 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 20:00:00 | SCHEDULED |
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8388 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8389 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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8390 | आपण कपाशीतील आकस्मिक मर रोग ह्यविषयी महित बघू: शेतात काही प्रमाणात झाडे पिवळी व मलूल पडून आकस्मिक मर रोगांची लक्षणे दिसून येतात. या विकृतीसाठी कुठलेही रोगकारक बुरशी, जिवाणू, विषाणू किंवा सूत्रकृमी कारणीभूत नसतात. आकस्मिक मर रोग एकतर हळू किंवा जलद गतीने विकसित होऊ शकतो. रोगाचे प्रमाण झाडांची अधिक वाढ तसेच पात्या, फुले धरण्याची अवस्था आणि बोंडाचे प्रमाण अधिक असल्यास वाढल्याचे दिसून येते. लक्षणे : प्रादुर्भावग्रस्त झाडांच्या हिरव्या पानांवर मर रोगाची लक्षणे दिसतात. ती पिवळसर व तांबूस किंवा लाल होऊन सुकतात. पात्या व लहान बोंडे गळून पडतात. अपरिपक्व अवस्थेतच बोंडे उमलल्याचे आढळते. उपाययोजना १. शेतात पाण्याचा व्यवस्थित निचरा करावा. २. प्रादुर्भावग्रस्त लक्षणे दिसलेल्या झाडाच्या मुळाशी कॉपर ऑक्सिक्लोराईड (५०% डब्लू. पी.) २५ ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम किंवा कार्बेन्डाझिम (५०% डब्लू. पी.) २० ग्रॅम अधिक युरिया १०० ग्रॅम प्रति १० लिटर पाणी या प्रमाणे द्रावणाची आळवणी करावा. झाडाच्या मुळांपर्यंत जाईल इतके द्रावण भांड्याने ओतावे. कपाशी मधील नैसर्गिक पाते व फुलगळ टाळण्यासाठी नॅप्थेलिक ऍसिटिक ऍसिड ४ मिली प्रती १० लिटर पाणी या प्रमाणात फवारणी करावी. कपाशीची अतिरिक्त कायिक वाढ रोखण्यासाठी क्लोरमेक्वेट क्लोराईड ५०% एसएल १- मिली. प्रती १० लिटर पाण्यात मिसळून स्वच्छ हवामान परिस्थिती असताना फवारणी करावी. सॉलिडरीडॅड स्मार्ट ऍग्री प्रोग्राममध्ये आपले शंकासमाधान करण्यास कृपया संपर्क साधावा. मोबा. क्र. 9158261922. | Marathi | MH | 21-09-2022 | 08:00:00 | SCHEDULED |
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